हमारे देश में जिस तरह से पानी की बर्बादी हो रही है और जमीन से पानी निकाला जा रहा है उसे आने वाले समय में भयानक जल संकट खड़ा होने की संभावना है दिल्ली से लेकर जयपुर तक 2030 तक 21 शहरों में पानी की भयानक कमी हो सकती है
नई दिल्ली देश में सूरज आग उगल रहा है। देश के कई हिस्सों में पारा 50 डिग्री को पार कर गया है।राजधानी दिल्ली के मुंगेशपुर में भी बुधवार को पारा52 डिग्री के ऊपर चला गया।इस चिल चिलाती गर्मी में सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के कई इलाकों में पानी की किल्लत भी सामने आ रही है।

दिल्ली में हर दिन 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। मगर दिल्ली जल बोर्ड केवल 97 करोड़ गैलन पानी की सप्लाई भी नहीं कर पा रहा है।
हालत यह है कि पानी की बर्बादी करने पर अब ₹2000 का जुर्माना लगाया जा रहा है। इसी तरह इस साल फरवरी मार्च में पानी के भयानक संकट से जूझ रहे बेंगलुरु में हालत अब भी पूरी तरह से सुधरे नहीं है।
बात ही खत्म नहीं होती है,अभी हालात और बिगड़ने का डर है।नीति आयोग का कहना है कि हो सकता है कि 2030 तक 40 फ़ीसदी भारतीयों को पीने के पानी भी ना मिले।
नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया था कि भारत के 21 बड़े शहरों में ग्राउंडवाटर खत्म होने की कगार पर है। जिससे लगभग 10 करोड़ आबादी प्रभावित होगी।

भारत में कितना पानी:_ कितना पानी है भारत में,दुनिया की 17%आबादी और 15% मवेशी भारत में रहते हैं| लेकिन यहां साफ पानी के संसाधन महान 4% ही है| पानी की जरूरत सरफेस वाटर और ग्राउंडवाटर से पूरी होती है |सर्फेस वॉटर मैं नदिया, तालाब, झीले आती हैं।
जबकि ग्राउंड वाटर यानी जमीन के अंदर मौजूद पानी और सरफैस पानी दोनों ही मानसून पर निर्भर हैं। लेकिन समस्या यह है कि सरफेस वाटर और ग्राउंडवाटर दोनों ही तेजी से कम हो रहे हैं। नदिया तलाब सूख रहे हैं और हर साल कम से कम 0.3 मीटर ग्राउंड वाटर काम होता जा रहा है।
इसका एक बड़ा कारण खेती बड़ी है, भारत में खेती-बाड़ी बहुत ज्यादा होती है। और इसके लिए पानी की काफी जरूरत पड़ती है, अनुमान है कि भारत में हर साल जितना पानी उपयोग होता है उसका लगभग 80 फ़ीसदी खेती बाड़ी में ही इस्तेमाल होता है।
बुरा वक्त आना भी बाकी है अनुमान है कि भारत में हर साल 3880 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी बारिश से मिलता है। लेकिन इसमें से 1999 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही उपलब्ध होता है। अब इसमें से भी 1122 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही इस्तेमाल के लायक होता है।लेकिन हम 699 बिलियन क्यूबिक पानी ही उपयोग कर पाते हैं। एक बिलियन क्यूबिक मीटर में 4 लाख ओलंपिक साइज स्विमिंग पूल के बराबर पानी होता है।
अब समस्या यह है की आबादी और लोगों की जरूरते तेजी से बढ़ रही है, जिस कारण पानी कम पड़ता जा रहा है
कैसे हो रही है पानी की बर्बादी? जब भी पानी की बर्बादी की बात होती है, तो आमतौर पर इसके लिए खेती-बाड़ी और इंडास्ट्रियो को दोषी ठहरा दिया जाता है। लेकिन भारत में घरों में भी हर दिन काफी पानी बर्बाद होता है।
माना जाता कि हर व्यक्ति को अपनी जरूरत के लिए हर दिन 150 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इसमें से खाना खाने और पानी पीने के लिए सिर्फ पांच लीटर पानी लगता है। स्टडी से पता चला है कि भारत में हर व्यक्ति हर दिन 45 लीटर पानी बर्बाद कर देता है।
घरों में पानी की बर्बाद होने की एक वजह वॉटर प्यूरीफायर भी है,वॉटर प्यूरीफायर 1 लीटर पानी को साफ करने के लिए चार लीटर पानी का इस्तेमाल करता है।इतना ही नहीं लापरवाही के कारण हर दिन भारत में 49 अब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है।
इसे लेकर एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय से रिपोर्ट भी मांगी है एनजीटी का कहना है कि पानी बर्बाद करने वालों पर फाइन लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा बोतल बंद पानी से भी पानी की जबरदस्त बर्बादी होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक पैकेज ड्रिंकिंग वॉटर बेचने वाली हर कंपनी जमीन से हर घंटे 5 हजार से 20000 लीटर पानी निकालती है। बोतल बंद पानी ही नहीं बल्कि सॉफ्ट ड्रिंक भी पानी की बर्बादी का बड़ा कारण है।
जनवरी 2017 में केरल सरकार ने इंडस्ट्री को मिलने वाले पानी में 75% की कटौती कर दी थी। इस कारण पेप्सीको को अपना प्लांट बंद करना पड़ गया था। क्योंकि पेप्सीको हर दिन जमीन से 6 लाख लीटर पानी निकल रही थी।
कितनी बड़ी पानी की समस्या: यूनिसेफ की 2019 की रिपोर्ट में चलाया गया था कि 10 करोड़ भारतीयों के पास पानी की सप्लाई का कोई ठोस साधन भी नहीं है!2018 नीति आयोग ने रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि 2030 तक 60 करोड़ भारतीयों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है!
यानी उसे वक्त 40% आबादी ऐसी होगी जो पानी की समस्या से जूझ रही होगी, इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि पीने का साफ़ पानी नहीं पाने के कारण हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है।