उत्तर प्रदेश अमेठी में गांधी परिवार से ही प्रत्याशी बनाए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का धरना शुरू होने के बीच रायबरेली से चौकाने वाली सूचना मिल रही है ,कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस बार चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं है।
ऐसे मे रायबरेली से पार्टी इस बार गांधी परिवार से बाहर के किसी नये चेहरे को मैदान में उतारते पर विचार कर रही है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी सीट से लोकसभा में दाखिल होने के बाद 2004 में रायबरेली को अपना स्थाई ठिकाना बनाया ।
इसके बाद लगातार पांच बार रायबरेली से सांसद चुनी गई ,जिसमें एक बार 2006 में इस सीट पर उपचुनाव भी शामिल है ,वर्ष 2004 से ही अमेठी सीट राहुल गांधी के हवाले हो गई थी ,जहां से वह लगातार तीन बार सांसद चुने गए.
हालांकि अपने चौथे चुनाव 2019 में उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा, इस कारण मौजूदा समय में दोनों सीटों पर हालात बदले हुए हैं .सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव से किनारा कर लिया है। और राजस्थान से राज्यसभा सांसद चुन ली गई है। अमेठी सीट को लेकर भी कांग्रेस हिचक रही है ।यही वजह है कि कांग्रेस अभी तक दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है ।जबकि दोनों क्षेत्रों के कार्यकर्ता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।

इन नामो को लेकर चर्चा है
सूत्रों के अनुसार स्टार प्रचारक के रूप में देश भर में अपनी व्यस्तता के चलते हैं प्रियंका गांधी इस बार खुद लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। राहुल गांधी भी चाहते हैं कि परिवार का कोई मतलब एक ही सदस्य चुनाव लडे। वह अगल बगल की अमेठी रायबरेली सीट से भी परिवार से दो लोगों को प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में नहीं है।
ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि रायबरेली से कोई नया चेहरा प्रत्याशी बनाया जाए ।इसमें लंबे समय से सोनिया गांधी का चुनाव प्रबंधन संभालने वाले केएल शर्मा पूर्व सांसद राज बब्बर ,कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता आराधना मिश्रा , या रायबरेली से सांसद रही पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. शीला कौल के पोते आशीष कौल का भी नाम चर्चा में है। हालांकि स्व. शीला कौल इंदिरा गांधी की मामी थी। इस तरह उनका पोता परिवार का ही सदस्य माना जाएगा।